उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा बनाए चार धाम मंदिरों के कॉपीराइट कानून पर बागेश्वर धाम धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिया साधुवाद, बोले इस कानून से उत्तराखंड के चारों धाम मंदिरो के नाम से हो रहे धंधों पर लगेगी रोक, देखे विडियो



ऋषिकेश 26 जुलाई।  तीन दिवसीय ऊर्जा संचय समागम में भाग लेने ऋषिकेश पहुंचे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिल्ली में बन रहे केदारनाथ धाम को लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धन्यवाद और बहुत-बहुत साधुवाद किया। 

उन्होंने कहा की उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा चारों धामों को लेकर जो कानून बनाएं गए हैं इस पर उनका धन्यवाद है । बागेश्वर धाम की तरफ से उनका बहुत-बहुत साधुवाद है। उन्होने कहा कि अब इस कानून के बाद भारत‌ में कही भी चार धाम के नाम से कोई अन्य मंदिर नहीं बन सकता। कॉपीराइट के द्वारा जो उन्होंने कानून निकला है वह सबके लिए बहुत अच्छा है और साथी साथ यह बहुत अच्छा प्रयोग है जिससे कोई भी  लोग चारों धाम के नाम पर कोई भी धंधा ना बना पाएंगे। लेकिन कुछ लोग आज भी इसे लेकर राजनीतिक कर रहे हैं, जो की उचित नहीं है। उनका कहना था कि भारत के लोकतंत्र में सबको बोलने की आजादी है, परंतु अन्य देशों में ऐसा नहीं है। 

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ऋषिकेश में, पत्रकारों की कैसे मिटाई खुजली देखें विडियो



ऋषिकेश ,26 जुलाई। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत का लोकतंत्र सबको बोलने की आजादी देता है, जबकि अन्य देशों में बने‌ कानून के कारण इस प्रकार की आजादी नहीं है। उन्होंने धर्म और राजनीति को एक सिक्के के दो पहलू बताया है।

यह बात धीरेंद्र शास्त्री  ने परमार्थ निकेतन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कही, उन्होंने कहा कि वह परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय प्रवास पर आए है क्योंकि‌‌ उन्होंने विचार किया कि अब पर्चा बनाने से देश का भला नहीं हो सकता जिसके लिए उनके‌ द्वारा यहां ऊर्जा संचय समागम (ब्रेन डिटॉक्स )  पर 600 से अधिक साधकों ने  एक साथ बैठकर चिंतन किया। जिसमें मनुष्य के अंदर आए विकारो की मुक्ति के लिए कार्य किया है जिसमें विदेशी   ऑस्ट्रेलिया , जर्मन ‌से डाक्टर और नेपाल के साधक भी उपस्थित थे ।

उन्होंने कहा कि इससे पहले वह ब्रेन डिटॉक्स पर बागेश्वर धाम में कार्यशाला लगा चुके अब यहां ऋषिकेश में दूसरी बार लगाई गई है। इसमें  धर्म की चर्चा होती है। क्योंकि भारतीय संस्कृति सबसे पुरातन संस्कृति है, जिसके लिए  हिंदू मुस्लिम ईसाई की आवश्यकता नहीं है ब्रेन डिटॉक्स के माध्यम से देश के लोगों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान दिया जा सकता है उन्होंने कहा कि इस पद्धति के माध्यम से अपने ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है, इसी पद्धति से देश शांति लाई जा सकती है। हांलाकि इस पद्धति  पर बहुत से लोगों ने कार्य किया है लेकिन हमने अपने गुरु के आशीर्वाद से इस पर कार्य प्रारंभ किया है। आज विज्ञान के जमाने में लोग मोबाइल, कंप्यूटर पर घंटो बैठे ‌रहते हैं।जिससे वह कई बीमारियों से घिर रहे हैं, जिसके कारण उनका दिमाग कमजोर हो रहा है, जिसका समाधान किए जाने के लिए ब्रेन डिटॉक्स आवश्यक है इसी के माध्यम से मनुष्य के अदर शांति लाई जा सकती है।